सेलाकुई 17 नवंबर 2024: सेलाकुई हैब फार्मा अग्नि कांड में एक मजदूर की हुई मौत कम्पनी की लापरवाही से हुआ अग्नि कांड।
बीते सात नवंबर को सिडकुल सेलाकुई की फार्मा सिटी की हैब फार्मा नामक कम्पनी में आग लग गई थी। पता चला हैं कि कम्पनी एक दर्द निवारक स्प्रे बनाती हैं जिसमे एलपीजी गैस का इस्तेमाल करती हैं और ये कम्पनी व्यावसाहिक गैस न खरीद के घरेलु गैस खरीदती हैं और उससे स्प्रे बनाती हैं अब इसमें कम्पनी सरकार को लाखों का चूना हर माह लगा रही हैं। आप वीडिओ में साफ देख सकते हैं कि आगजनी के समय कम्पनी में कई घरेलु गैस सिलेंडर दिखाई दे रहें हैं।
बड़ी बात ये हैं कि आगजनी हुए 8 दिन बीत गए परन्तु आग के कारणों का पता नहीं चल पाया आखिर क्यों अब तक जाँच नहीं हुई क्या कम्पनी प्रबंधन ने जाँच अधिकारियों से सांठ गांठ कर ली जिससे इतने दिन बाद भी जाँच नहीं हुई जबकि गैस रिसाव ही माना जा रहा था अग्नि कांड का कारण ज़ब आग लगी थी तो आनन फ़ानन में फायर बिर्गेड की मदद से आग पर काबू पाया गया, इस अग्नि कांड में 9 लोग बुरी तरह झूलस गए थे जिनमे एक मजदूर की मौत हो गई।
ग्राफिक एरा अस्पताल से घायल मजदूरों को दून रैफर किया गया दून में मजदूरों के लिए बेड नहीं मिले तो उन्हें कोर नेशन अस्पताल लें गए फिर वंहा से दून काफ़ी समय घायल मजदूर इधर उधर करते रहें घायलों के साथ बजरंग दल के नेता रमेश ढोंडियाल मौजूद थे तब कम्पनी से कोई भी साथ नहीं था ज़ब रमेश ढोंडियाल ने कम्पनी GM को फोन किया तब जाकर कम्पनी के लोग घायलों तक पहुचे थे।
कम्पनी द्वारा ESI से कनेक्टड बड़े अस्पतालों में क्यों मजदूर को नहीं लें जाया गया, इस मामले में ये भी पता चला हैं कि कई मजदूर यहां ऐसे हैं जिनका ESI,PF नहीं कटता अगर किसी के साथ ऐसी घटना घटती हैं तो वो कैसे इलाज करवाएगा।
अब सवाल पैदा होता हैं कि क्या कम्पनी में फायर इक्यूमेंट नहीं थे या फिर ठीक नहीं थे या फिर फायर फाइटर टीम नहीं थी कम्पनी के पास यदि होती तो शायद इतनी बुरी तरह नहीं झूलसे होते मजदूर।
सूत्रों से जो जानकारी मिली उसके अनुसार फायर इल्यूमेंट बंद थे व उनके साथ dg भी बंद था साथ ही मौके पर से भागने के सारे रास्तों पर कंपनी द्वारा ढेर सारा गट्टा प्लास्टिक रखा था जिसके कारण आग लगने पर मजदूर तत्काल बाहर नहीं निकल पाए क्योंकि रास्ते के गट्टे प्लास्टिक में भी आग लग चुकी थी,कम्पनी में फायर टीम भी नहीं थी क्योंकि ज़ब आग लगी थी तो अंदर कोई अन्य नहीं था, एक वीडिओ हम आपको ताज़ा ताज़ा दिखा रहें हैं कि ज़ब इतना बड़ा काण्ड हो गया तब कम्पनी अपने फायर इक्यूमेंट तैयार कर रही हैं गैस टंकी शायद तब नहीं थी ज़ब कांड हो गया तब खरीदनी पड़ गईं।
ये भी सवाल खड़ा होता हैं क्या कम्पनी के फायर इक्यूमेंट का ऑडिट या चेकिंग होती हैं वो सिर्फ कागजों में होती हैं यदि हकीकत में होती तो फिर ऐसा क्यों हुआ क्यों नहीं चले फायर इक्यूमेंट, क्यों कम्पनी के फायर फाइटरों द्वारा आग से नहीं बचाया गया क्या कारण था कि बगल की कम्पनी वाले द्वारा इनकी गैस लाइन बंद की गई यदि दूसरी कम्पनी का फाइटर नहीं आता तो शायद बड़ी घटना हो सकती हैं।
एक अहम बात और पता चली हैं कि जिस जगह पर गैस लाइन या एलपीजी सिलेंडर रखें थे वो जगह वैसे भी डेंजर जोन में आती हैं लेकिन कम्पनी के बड़े अधिकारियों की जिद से वहां पर वैल्डिंग का कार्य करवाया जा रहा था जैसे ही वैल्डिंग हुई तत्काल आग लग गई क्या इसे कम्पनी का लापरवाही न बोले क्या कम्पनी वैल्डिंग करने से पूर्व गैस लाइन या सिलेंडर सिस्टम बंद नहीं कर सकती थी।
फायर cfo बसंत यादव का कहना हैं 🤚कि फायर इक्यूमेंट इसलिए नहीं चले कि उन्हें dg कनेक्शन नहीं मिला अभी जाँच नहीं हुई।
अब पते की बात ये भी हैं कि आखिर कम्पनी की जाँच क्यों डिले की जा रही हैं क्या सबूत मिटाने का समय दे रहें हैं अधिकारी क्योंकि जानकारी ये भी मिली हैं कि मामले को दबाने के लिए बड़ी धनराशि किन्ही संबंधितों को बंटी हैं जिस कारण इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई।
जबकि अब तक कम्पनी पर करोडो का जुर्माना लग चुका होता क्योंकि कम्पनी घरेलू गैस से रिफिल करके स्प्रे बनाती हैं।
हमारे द्वारा उपजिलाधिकारी विकासनगर को कॉल की गईं दो तीन बार लेकिन उनके द्वारा नहीं उठाई गई उनको मैसेज किया गया हैं परन्तु कोई भी रिप्लाई नहीं आया जबकि मैसेज ok हुआ हैं साथ ही थाना सेलाकुई को भी दो दिन 6 बार कॉल की गई लेकिन उनके द्वारा भी कॉल रिसीव नहीं की गई और वैसे यहां के थानाध्यक्ष महोदय अक्सर ऐसा करते हैं क्योंकि उन्हें लगता हैं कि कही कोई सूचना न दे फिर थाने से बाहर निकलना पड़ेगा।
बाबासेलाकुई फार्मा सिटी में प्रत्येक कम्पनी एक दूसरे से जुडी हैं यदि ऐसा ही हाल सभी का होगा तो भविष्य में बहुत बड़ी घटना घट सकती हैं। अब देखना होगा कि हमारी खबर पर प्रशासन और दमकल विभाग संज्ञान लेता हैं या फिर इस फाइल को सदा के लिए बंद करता हैं।
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